सलाह - न फेरे दूरी अच्छी - 1 Kishanlal Sharma द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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सलाह - न फेरे दूरी अच्छी - 1

टन टन
दूर से घण्टे बजने की आवाज आई थी।रात के बारह बजने की उदघोषणा पास स्थित पुलिस स्टेशन से आई थी।मतलब आधी रात बीत चुकी थी।कमला नेहरू वीमेन होस्टल में रहने वाली सब औरते कब की सो चुकी थी।लेकिन सरोज की आंखों में नींद नही थी।वह कभी बिस्तर में लेट जाती। कभी उठ जााती और कमरे में इधर से उधर चक्कर लगाने लगती।वह काफी परेशअन और उदगिन नजर आ रही थी।उसे नींद न आने का कारण रश्मि थी।वह रशमि को लेकर चिंतित थी।
रश्मि ,सरोज की रूम पार्टनर थी।वह उसके साथ कमरा नम्बर तीस में रहती थी।वैसे होस्टल में रहने वाली किसी भी औरत का होस्टल में रहने वाली दूसरी औरत की निजी जिंदगी में दखल देने का कोई अधिकार नही था।कौन कहा जाती है?क्या करती है?कब आती जाती है?इस बारे में होस्टल की एक औरत दूसरी औरत से नही पूछ सकती थी।लेकिन रश्मि सरोज की हमराज थी।वे दोनों काफी दिनों से साथ रह रही थी।इसलिय सतोज की रश्मि से आत्मीयता हो गयी थी।इसलिए वह रश्मि के अभी तक न लौटने की वजह से परेशान थी।चिंतित थी।
वातावरण एकदम शांत था।दूर तक किसी तरह की आवाज या शोर नही था।अजीब खामोशी और सन्नाटे ने सम्पूर्ण होस्टल को अपनी गिरफ्त में जकड़ रखा था।
और रात को ज्यो ही घड़ी की सुई ने साढ़े बारह बजाए ठक ठक की आवाज ने होस्टल की नीरवता को भंग किया था।बरामदे में किसी के चलने की आवाज ने सरोज के चेहरे पर उभरी चिंता की लकीरों की जगह उत्सुकता के भाव उभर आये थे।
रश्मि ही होगी
यही सोचकर दरवाजे पर दस्तक हुए बिना ही सरोज ने दरवाजा खोल दिया था।
सरोज का अनुमान गलत नही था।उसने जैसा सोचा वैसा ही था।रश्मि ही थी।उसे देखते ही सरोज ने उसकी तरफ प्रश्न उछाल दिया था
"तू आज फिर उस छोकरे के साथ गयी होगी?"
"वाट डू यू मीन छोकरा?"रश्मि ने सरोज की बात सुनकर तल्खी में कहा था।
"वो ही जिसके साथ तू जाती है।"
"जिसे तुम छोकरा कह रही हो,वह छोकरा नही है।मेरा बॉय फ्रेंड है।मैं उसके साथ नाइट शो देखने के लिए गयी थी।मैने वार्डन से इसकी अनुमति ले ली थी।"रश्मि ने अपना पर्स मेज पर रखा था।रोज वह रुम में आते ही कपड़े बदलने के लिए बाथ रुम में घुस जाती थी।पर आज उसने कपड़े नही बदले।उन्ही कपड़ो में कटे व्रक्ष की तरह अपने बिस्तर में गिर गयी।
"देखो रश्मि मुझे किसी भी लड़के से तुम्हारी दोस्ती पर एतराज नही है।यह तुम्हारा निजी मामला है।तुम स्वतंत्र हो चाहे जिसे अपना दोस्त बना सकती हो।लेकिन तुम नादान हो।आजकल के लड़कों को जानती नही हो।आजकल के लड़के धोखेबाज होते है।'" सरोज रूम का दरवाजा बंद करके अपने बिस्तर में आ गयी थी।
"तुम्हारी बातो से ऐसा लग रहा है--रश्मि आगे बोलते बोलते चुप हो गयी थी।
"रुक क्यो गयी।कहो न आखिर तुम कहना क्या चाहती हो।'
"मुझे ऐसा लग रहा है,तुम्हे मेरे प्यार से जलन हो रही है।"रश्मि ने लेटे लेटे गर्दन घुमाकर सरोज की तरफ देखा था।
"मुझे तुम्हारे प्यार से जलन क्यो होने लगी।"
"तुम्हारी बातो से तो ऐसा ही लग रहा है।"
"नही रश्मि ऐसा नही है।मैं उम्र में तुमसे बड़ी हूँ।इस नाते तुम्हे समझा रही हूँ।"